Sunday 2 October 2016

ग़ज़ल- जिंदगी नाम है चलने का तो चलते रहिये

हाथ पे हाथ धरे आप उबलते रहिये।
बातों से देश की तस्वीर बदलते रहिये।।

पांच सालों के लिए आप ने इनको है चुना।
तब तलक इनके इशारों पे उछलते रहिये।।

हार क्यूँ मान ली है देख के तूफानों को।
ये तो आएंगे ही बस आप सँभलते रहिये।।

फूल ही फूल खियाबाँ में खिलेंगे हमदम।
इश्क़ की आँच में बस यार पिघलते रहिये।।

चाँद भी तक रहा शिद्दत से तेरे कूचे को।
चाँदनी रात की ख़ातिर ही निकलते रहिये।।

बस यही बात पवन को नहीं रुकने देती।
जिंदगी नाम है चलने का तो चलते रहिये।।

                               ✍ डॉ पवन मिश्र
खियाबाँ= बाग़