Sunday, 24 November 2024

ग़ज़ल- मेरे शेरों को अता कर दे मआनी कुछ तो

मेरे शेरों को अता कर दे मआनी कुछ तो

जिससे गज़लों में मेरी आये रवानी कुछ तो


बाद तेरे भी रहे यार कहानी कुछ तो

जाते-जाते मुझे दे जाओ निशानी कुछ तो


दर्द के फूल खिलाने की इन्हें चाहत है

ख़ुश्क आंखों को मेरे यार दे पानी कुछ तो


तेरे बारे में बहुत कुछ है सुना दुनिया से

अब तमन्ना है सुनूं तेरी ज़बानी कुछ तो


दूर मंज़िल है भला कैसे पहुंच पाऊंगा

हौसलों को ऐ ख़ुदा बख़्श रवानी कुछ तो


✍️ डॉ पवन मिश्र