निराशा का अँधेरा दूर होगा
हमेशा स्याह रातें ही न होंगी
कभी तो चांद ये पुरनूर होगा
हमारी बात सुन लो बाद उसके
हमें हर फैसला मंजूर होगा
रहेगा वो मेरे शेरों में हरदम
मेरी बाहों से माना दूर होगा
मिला है ज़ख्म तो जल्दी दवा दो
वगरना एक दिन नासूर होगा
सपोलों को मिलेगी सीख तब ही
यक़ीनन वार जब भरपूर होगा
ये जो बिखरा पड़ा है सरहदों पर
किसी की मांग का सिंदूर होगा