उनकी खुशबू को लिये महकी हवा कब आएगी।
टूट कर बरसे जो वो काली घटा कब आएगी।।
टूट कर बरसे जो वो काली घटा कब आएगी।।
दर्द हद से बढ़ रहा इसकी दवा कब आएगी।
ज़िंदगी है पूछती आख़िर क़ज़ा कब आएगी।।
ज़िंदगी है पूछती आख़िर क़ज़ा कब आएगी।।
आहटों में ढूंढता आवाजे-पा उनकी ही मैं।
ऐ खुदा दर पे मेरे उनकी सदा कब आएगी।।
ऐ खुदा दर पे मेरे उनकी सदा कब आएगी।।
सुब्ह से हूँ मयकदे में जाम सारे बे-नशा।
शाम ढलने को है साकी तू बता कब आएगी।।
शाम ढलने को है साकी तू बता कब आएगी।।
शर्त हर मंजूर है दीदार को उनके मगर।
देखिये अब इश्क़ में उनकी रज़ा कब आएगी।।
देखिये अब इश्क़ में उनकी रज़ा कब आएगी।।
ज़िंदगी की जंग जारी आखिरी सांसों के सँग।
अब भी गर आई न तू तो फिर भला कब आएगी।।
अब भी गर आई न तू तो फिर भला कब आएगी।।
लाश में भी ढूंढ लेते वो सियासत की वजह।
रहनुमा को ऐ ख़ुदा शर्मो हया कब आएगी।।
रहनुमा को ऐ ख़ुदा शर्मो हया कब आएगी।।
✍ डॉ पवन मिश्र
आवाजे- पा= पैर की आवाज
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