Sunday, 14 July 2019

ग़ज़ल- इक पतंगे ने खुदकुशी कर ली


इक पतंगे ने खुदकुशी कर ली।
शम्अ से उसने आशिकी कर ली।।

उनकी तस्वीर को रहल पे रख।
हमने उनकी ही बन्दगी कर ली।।

उसको खुद में समा लिया मैंने।
रूह तक मैंने रौशनी कर ली।।

बस यही एक ज़ुर्म कर बैठा।
दिल ने दुनिया से दोस्ती कर ली**।।

हमको मय की न ख्वाहिशें साक़ी।
तेरी आँखों से मयकशी कर ली।।

रौशनी किसके दर पे जाए अब।
जब चरागों ने तीरगी कर ली।।

जीस्त ने फ़लसफ़े सिखाये जो।
हमने उनसे ही शाइरी कर ली।।

            ✍ डॉ पवन मिश्र

रहल- लकड़ी का एक स्टैंड जिसपर धर्मग्रंथ रखे जाते हैं।

**मिसरा बशीर बद्र साहब का है

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