Tuesday, 17 October 2017

ग़ज़ल- वो ताजिर है, तिजारत ढूँढ लेता है


वो ताजिर है, तिज़ारत ढूँढ लेता है।
वो मतलब की सियासत ढूँढ लेता है।।
ताजिर= व्यापारी     तिजारत= व्यापार

जली झुग्गी की बिखरी राख में देखो।
वो वोटों की अमानत ढूँढ लेता है।।

बड़ा शातिर है देखो रहनुमा यारों।
वो लाशों में सियासत ढूँढ लेता है।।

लगा दे लाख पहरे ये जमाना पर।
जवां दिल अपनी आफ़त ढूँढ लेता है।।

ज़रा सी ज़िन्दगी में आदमी देखो।
बिना मतलब अदावत ढूँढ लेता है।।

खुदा की रहमतों पे है यकीं जिसको।
वबा में भी वो राहत ढूँढ लेता है।।
वबा= महामारी

                ✍ डॉ पवन मिश्र

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