मैं हूँ खुद से ख़फ़ा कई दिन से।
सिलसिला चल रहा कई दिन से।।
सिलसिला चल रहा कई दिन से।।
मेरे कमरे में आइना था इक।
वो भी है लापता कई दिन से।।
वो भी है लापता कई दिन से।।
दिल ये बेजार इश्क़ से है अब।
सिसकियाँ ले रहा कई दिन से।।
सिसकियाँ ले रहा कई दिन से।।
कुछ गलतफहमियां हुईं शायद।
बढ़ रहा फ़ासला कई दिन से।।
बढ़ रहा फ़ासला कई दिन से।।
ज़ह्र, नफरत, घुटन लिए सँग में।
चल रही है हवा कई दिन से।।
चल रही है हवा कई दिन से।।
मुन्तज़िर है पवन चले आओ।
तक रहा रास्ता कई दिन से।।
तक रहा रास्ता कई दिन से।।
✍ डॉ पवन मिश्र
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