वो ही चेहरा वो हँसी दरकार है।
तीरगी में रोशनी दरकार है।।
तीरगी में रोशनी दरकार है।।
बन के नश्तर याद तेरी चुभ रही।
अब तो मुझको बस तेरी दरकार है।।
अब तो मुझको बस तेरी दरकार है।।
अनमनी सी ढो रही है जिस्म बस।
ज़िंदगी को मौत की दरकार है।।
ज़िंदगी को मौत की दरकार है।।
कोख में ही मारते हो बेटियां।
और कहते हो खुशी दरकार है।।
और कहते हो खुशी दरकार है।।
आदमी को आदमी ही मान लें।
बस सियासत से यही दरकार है।।
बस सियासत से यही दरकार है।।
ऐ ख़ुदा तेरा करम, जो बख़्श दे।
क्या छुपी तुमसे कोई दरकार है।।
क्या छुपी तुमसे कोई दरकार है।।
कब तलक तुकबन्दियाँ होंगी पवन ?
अब तो तुझसे शाइरी दरकार है।।
अब तो तुझसे शाइरी दरकार है।।
*डॉ पवन मिश्र*
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