बारहा इश्क़ में करार न कर।
ऐसी गलती तू बार बार न कर।।
लाखों गम इश्क़ के अलावा हैं।
ज़िन्दगी और बेक़रार न कर।।
ज़िन्दगी और बेक़रार न कर।।
है मुहब्बत अगर तो आएगा।
ऐ मेरे दिल तू इंतजार न कर।।
ऐ मेरे दिल तू इंतजार न कर।।
दिल मेरा रेशमी गलीचे सा।
इसको धोखे से तार तार न कर।।
इसको धोखे से तार तार न कर।।
हद जरूरी बहुत है रिश्तों में।
हद के आगे किसी से प्यार न कर।।
हद के आगे किसी से प्यार न कर।।
ज़ख्म आंसू सबक़ मुहब्बत के।
दर्द का ऐसा कारोबार न कर।।
दर्द का ऐसा कारोबार न कर।।
माना कड़वा हूँ, नीम हूँ लेकिन।
मुझको ऐसे तो दरकिनार न कर।।
मुझको ऐसे तो दरकिनार न कर।।
ख़ाक होकर ही ये पवन समझा।
हुस्न वालों पे जाँ निसार न कर।।
हुस्न वालों पे जाँ निसार न कर।।
✍ *डॉ पवन मिश्र*
बारहा= अक्सर, बारम्बार
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