2019 के पूर्वार्द्ध के राजनैतिक परिदृश्य के सम्बंध में-
चोरों की तो मौज थी, कुछ दिन पहले यार।
आया चौकीदार तो, देखो चोर फरार।१।
बाहर भी बेचैन हैं, जो थे चोर फरार।
लंदन तक दौड़ा रहा, अपना चौकीदार।२।
नए नए प्यादे दिखे, करते अत्याचार।
*पंजा* हमें दिखा रहे, जाति के ठेकेदार।३।
दादी की पोती कहे, देखो मेरी नाक।
सुन कर चिल्लाने लगे, कांव कांव सब काक।४।
उनका अपना शोध है, जो आई ये बात।
वंश पूजकों को दिया, नाक भरी सौगात।५।
चोरों में हड़कंप है, यह तो दिखता साफ।
समय दिखायेगा इन्हें, जनता का इंसाफ।६।
गठबंधन की चाह में, कजरी है बीमार।
आमादा गू हेतु ज्यों, शूकर कोई यार।७।
उस बबुआ अकलेस का, हुआ हाल बेहाल।
बाप अलग रेले पड़ा, चाचा भी हैं लाल।८।
कुंभ नहाते फिर रहे, जो थे रोजेदार।
राजनीति के मायने, बदले चौकीदार।९।
पपुआ ममता केजरी, सारें हैं बेकार।
इन सबसे इक्कीस है, अपना चौकीदार।१०।
बक बक कोरी त्याग कर, आये कोई वीर।
खुद में हो गर शक्ति तो, खींचें बड़ी लकीर।११।
नहीं दूध का है धुला, माना चौकीदार।
लेकिन जितने पात्र हैं, ये सबसे दमदार।१२।
दीपक के बिन रात में, कैसे हो उजियार।
राह तक रहा आपकी, कब से चौकीदार।१३।
भक्त कहो या तुम कहो, मुझको चौकीदार।
लोकतंत्र के पर्व हित, मैं बैठा तैयार।१४।
अब बारी है आपकी, कर लो सोच विचार।
कैसा हो इस देश का, अगला चौकीदार।१५।
✍️ डॉ पवन मिश्र
#MainBhiChowkidar
चोरों की तो मौज थी, कुछ दिन पहले यार।
आया चौकीदार तो, देखो चोर फरार।१।
बाहर भी बेचैन हैं, जो थे चोर फरार।
लंदन तक दौड़ा रहा, अपना चौकीदार।२।
नए नए प्यादे दिखे, करते अत्याचार।
*पंजा* हमें दिखा रहे, जाति के ठेकेदार।३।
दादी की पोती कहे, देखो मेरी नाक।
सुन कर चिल्लाने लगे, कांव कांव सब काक।४।
उनका अपना शोध है, जो आई ये बात।
वंश पूजकों को दिया, नाक भरी सौगात।५।
चोरों में हड़कंप है, यह तो दिखता साफ।
समय दिखायेगा इन्हें, जनता का इंसाफ।६।
गठबंधन की चाह में, कजरी है बीमार।
आमादा गू हेतु ज्यों, शूकर कोई यार।७।
उस बबुआ अकलेस का, हुआ हाल बेहाल।
बाप अलग रेले पड़ा, चाचा भी हैं लाल।८।
कुंभ नहाते फिर रहे, जो थे रोजेदार।
राजनीति के मायने, बदले चौकीदार।९।
पपुआ ममता केजरी, सारें हैं बेकार।
इन सबसे इक्कीस है, अपना चौकीदार।१०।
बक बक कोरी त्याग कर, आये कोई वीर।
खुद में हो गर शक्ति तो, खींचें बड़ी लकीर।११।
नहीं दूध का है धुला, माना चौकीदार।
लेकिन जितने पात्र हैं, ये सबसे दमदार।१२।
दीपक के बिन रात में, कैसे हो उजियार।
राह तक रहा आपकी, कब से चौकीदार।१३।
भक्त कहो या तुम कहो, मुझको चौकीदार।
लोकतंत्र के पर्व हित, मैं बैठा तैयार।१४।
अब बारी है आपकी, कर लो सोच विचार।
कैसा हो इस देश का, अगला चौकीदार।१५।
✍️ डॉ पवन मिश्र
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