२१२२ १२१२ २२
क्यूं हुआ हादसा, ख़ुदा जाने
चाहता क्या ख़ुदा, ख़ुदा जाने
एक चेहरे पे रुक गईं नजरें
इश्क़ है या ख़ता, ख़ुदा जाने
चल दिये राह-ए-इश्क़ पर लेकिन
देखें होता है क्या, ख़ुदा जाने
कश्तियाँ बह रहीं अकेले ही
है कहाँ नाख़ुदा, ख़ुदा जाने
हिज़्र के ज़ख़्म कब तलक पालूं
कब मिलेगी शिफ़ा, ख़ुदा जाने
✍️ डॉ पवन मिश्र
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