कब तक बैठें दोनों गुमसुम आओ फिर से बात करें
हो जाएं इक दूजे में गुम आओ फिर से बात करें
कोई और नहीं आएगा रिसते घावों को भरने
किसका रस्ता देखें हम तुम आओ फिर से बात करें
अँधियारे ने पांव पसारा राहें दिखती हैं काली
उन राहों में भर दें अंजुम आओ फिर से बात करें
खामोशी की चादर ओढ़े इक दूजे को देख रहे
कब तक झेलें यार तलातुम आओ फिर से बात करें
कितनी बातें होती थीं तब छोटी-छोटी रातों में
दुहरायें वो दौर-ए-तकल्लुम आओ फिर से बात करें
✍️ डॉ पवन मिश्र
अंजुम- सितारे
तलातुम- बेचैनी
दौर-ए-तकल्लुम- वार्तालाप का दौर
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