शक्ति शौर्य सामर्थ्य का, होगा प्रादुर्भाव।
जनमानस में जब जगे, राष्ट्रवाद का भाव।१।
जनमानस में जब जगे, राष्ट्रवाद का भाव।१।
जाति धर्म औ देश से, बड़ा राष्ट्र का रूप।
लेकिन मेढ़क क्या करे, वो जाने बस कूप।२।
राष्ट्र एक संकल्पना, एक प्रबुद्ध विचार।
अंतस के विस्तार से, होगा यह साकार।३।
भौगोलिक सीमा नहीं, नहीं राष्ट्र इक क्षेत्र।
संस्कृति ही तो राष्ट्र है, खोलो अपने नेत्र।४।
पूरी वसुधा एक है, मानवता है धर्म।
सबके सुख की कामना, है भारत का मर्म।५।
✍️ डॉ पवन मिश्र
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