उम्र भर द्वेष-राग रखते हैं
लोग दिल में दिमाग रखते हैं
लोग दिल में दिमाग रखते हैं
पास आकर समझ सकोगे तुम
फूल हैं हम पराग रखते हैं
तेरे गुण-दोष से परे हैं हम
हम वो चंदन जो नाग रखते हैं
भारती के सपूत हैं हम तो
अपने चिंतन में त्याग रखते हैं
साथ रहते हैं मां-पिता के हम
घर मे काशी-प्रयाग रखते हैं
पल में लोहे को भी जो पिघला दे
हौसलों की वो आग रखते हैं
✍️ डॉ पवन मिश्र
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