जीवन तुमसे ही है मधुबन
वरना तो है निर्जन कानन
वरना तो है निर्जन कानन
एक तरफ है सारी दुनिया
एक तरफ है तुम सँग जीवन
तेरी एक छुवन से प्रियतम
तन-मन हो जाता चन्दनवन
याद तुम्हारी जब आती है
आंखों से झरता है सावन
दरवाजे की हर आहट पर
बढ़ जाती है हिय की धड़कन
रूप अनूप नहीं है लेकिन
प्रेम पवन का निश्छल पावन
✍️ डॉ पवन मिश्र
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