ग़मों से जुड़ गया रिश्ता हमारा
कि तुम ने साथ जब छोड़ा हमारा
कि तुम ने साथ जब छोड़ा हमारा
तुम्हारे बिन अजब सी कशमकश है
कहीं भी दिल नहीं लगता हमारा
गए हो जबसे हमको छोड़कर तुम
बहुत सूना हुआ कमरा हमारा
सभी चर्चा हमारा ही करेंगे
किसी से पूछ लो किस्सा हमारा
तुम्हें क्या याद हैं बातें हमारी
तुम्हे क्या याद है रस्ता हमारा
चले आओ तो बाकी शेर कह लें
अकेला है बहुत मतला हमारा
पवन है बस यही अफ़सोस हमको
अधूरा रह गया किस्सा हमारा
हमें मंज़िल पे पहुंचाता है लेकिन
कहीं जाता नहीं रस्ता हमारा
✍️ डॉ पवन मिश्र
No comments:
Post a Comment