तेरी यादों का जो नश्तर रखा है
समय के साथ पैना हो रहा है
समय के साथ पैना हो रहा है
महज़ गम ही हमारे साथ रहते
उन्हीं से रह गया बस वास्ता है
उदासी, हिज़्र, उलझन, यास, आँसू
मुहब्बत में यही मुझको मिला है
किसी दिन रोशनी से बात होगी
इसी उम्मीद पे जीवन टिका है
बड़ी शिद्दत से मेरी चाहतों ने
तुम्हारा ही महज़ सज़दा किया है
जब आओगे तभी गुलशन खिलेगा
बहारों ने यही मुझसे कहा है
✍️ डॉ पवन मिश्र
यास- अवसाद
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