Monday, 31 March 2025

ग़ज़ल- ज़िंदगी है नाव और पतवार दोस्त

जिंदगी है नाव और पतवार दोस्त

इसलिये हों साथ में दो-चार दोस्त


दुश्वारियों को कौन कम कर पाएगा

गर नहीं होंगे तुम्हारे यार दोस्त


ठन गयी है रार इस संसार से

साथ मेरे हैं खड़े हथियार दोस्त


भीड़ की मुझको जरूरत ही नहीं

ज़िंदगी मे चाहिए बस चार दोस्त


ये जमाना साथ दे चाहे न दे

मुश्किलों में साथ हैं हर बार दोस्त


कर्ण की चाहत नहीं मुझको पवन

कृष्ण जैसा हो सलीकेदार दोस्त


✍️ डॉ पवन मिश्र