अपने बच्चों के लिये दुनिया सजा कर जाऊंगा
यह ज़मीं शादाब हो खुद को खपा कर जाऊंगा
यह ज़मीं शादाब हो खुद को खपा कर जाऊंगा
ज़िंदगी की दौड़ में चलते ही रहना है मुझे
बाप हूँ मैं फ़र्ज़ अपने सब निभा कर जाऊंगा
बाद मेरे ये ज़माना याद मुझको रख सके
कम से कम इक शेर ऐसा मैं सुना कर जाऊंगा
लोग कहते चांद आता है तुम्हारे बाम पर
आज उसकी चांदनी में मैं नहा कर जाऊंगा
इश्क़ गर कोई ख़ता है तो अकेले तुम नहीं
एक दिन मैं भी कोई ऐसी ख़ता कर जाऊंगा
ज़िंदगी में आपसे बढ़कर नहीं है ख़ास कुछ
जाते जाते आपको सबकुछ बता कर जाऊंगा
✍️ डॉ पवन मिश्र
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