Sunday, 15 January 2017

ग़ज़ल- कोई भाया न बेवफा के सिवा


कोई भाया न बेवफा के सिवा।
अब नहीं आसरा दुआ के सिवा।।

और क्या दूँ मैं इश्क़ में तुमको।
पास कुछ भी नहीं वफ़ा के सिवा।।

तुम अगर साथ में नहीं हमदम।
जिंदगी कुछ नहीं सजा के सिवा।।

जीस्त भर झूठ में बशर जीते।
सच तो कुछ भी नहीं कज़ा के सिवा।।
   
दर्द किस को कहे पवन जाकर।
*कोई सुनता नहीं ख़ुदा के सिवा।।

                      ✍ डॉ पवन मिश्र
कज़ा= मौत
*हफ़ीज जालंधरी साहब का मिसरा

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