नूर में डूबा हुआ तेरा जमाल अच्छा है।
हुस्नवाले तू जो कर दे वो कमाल अच्छा है।।
इन नजारों में नही बात कि खो जाऊँ मैं।
तेरी आँखों में जो होता वो कमाल अच्छा है।।
अब तलक दर्द में बीते हैं मेरे दिन लेकिन।
इक बिरहमन ने कहा है कि ये साल अच्छा है*।।
चाहते हो कि रहे फूल भी काँटों के सँग।
चुभना छोड़े जो ये काँटे तो खयाल अच्छा है।।
रहनुमा कुछ भी कहें बात बनाये कुछ भी।
मैं लिखूँ कैसे मेरे देश का हाल अच्छा है।।
कब तलक जुर्म सहोगे यूँ ही घुटते घुटते।
अब अगर आये लहू में तो उबाल अच्छा है।।
कब तलक खून बहेगा सियासत में तेरी।
रहनुमाओं से पूछूँगा, ये सुआल अच्छा है।।
✍ डॉ पवन मिश्र
सुआल= सवाल
* ज़नाब ग़ालिब का मिसरा
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