पोंगा पंडित बन गया, देखो उनका मेठ।
नौकर जय जय कर रहे, गद्दी बैठा सेठ।।
गद्दी बैठा सेठ, नहीं उसको कुछ आता।
लेने को गुरुमंत्र, भागकर इटली जाता।।
सुनो पवन की बात, शीघ्र उतरेगा चोंगा।
खुल जाएगी पोल, बचेगा कब तक पोंगा।१।
टोपी जालीदार थी, कुछ दिन पहले माथ।
मौका आया ले लिए, एक जनेऊ साथ।।
एक जनेऊ साथ, उमंगे मन में लेकर।
लोकतंत्र की जंग, लड़े हैं गाली देकर।।
जनता को ये लोग, समझते भोली गोपी।
इसीलिये तो रोज, बदलते पगड़ी टोपी।२।
✍ डॉ पवन मिश्र
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