तेरा चहरा कमाल है साक़ी
दूधिया इक हिलाल है साक़ी
एक तुझसे सवाल है साक़ी
दिल में कैसा मलाल है साक़ी
गर नशे का सबब ये मय है तो
फिर तिरा क्या कमाल है साक़ी
है सभी को ख़याल-ए-मैनोशी
मुझको तेरा ख़याल है साक़ी
चांद तारे चराग और जुगनू
सबमें तेरा जमाल है साक़ी
अपने दिल की कहूँ तुझे मैं क्या
तेरे जैसा ही हाल है साक़ी
रोज इक दर्द है नया मिलता
दर्द का ही ये साल है साक़ी
अब तो आकर सुकून दे जाओ
मेरा जीना मुहाल है साक़ी
✍️ डॉ पवन मिश्र
हिलाल= चांद
जमाल= खूबसूरती
ख़याल-ए-मैनोशी= शराब पीने का ख़याल
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