Saturday, 20 February 2016

मुक्तक


इस हृदय ने वरण कर लिया है तुम्हे।
श्वास विश्वास सब दे दिया है तुम्हे।
प्रीत पे मेरी बस तुम भरोसा रखो,
कृष्ण की राधिका सा जिया है तुम्हे।१।

शांत एकांत वन में ना विचरण करो।
हे प्रिये हे सखे थोड़ा धीरज धरो।
प्रेम की रौशनी से छंटेगा धुँआ,
स्नेह का नेह जीवन में अब तुम भरो।२।

पुष्प आशाओं के कुछ महक जाने दो।
आज थोड़ा हमें तुम बहक जाने दो।
मैं हूँ चातक बनो स्वाति की बूंद तुम,
सूखे अधरों पे अमृत छलक जाने दो।३।

                        - डॉ पवन मिश्र






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