Friday, 17 June 2016

दोहे- हिन्द और हिन्दू


सरस मृदु सरिता जल में, किसने घोला खार।
शीतलता अब तज रही, गंगा जमुना धार।१।

तुष्टिकरण की चाशनी, मिलकर रहे पकाय।
सत्तालोलुप सोच से, देश गर्त में जाय।२।

मोमिन पट्टी बाँध के, करने चला ज़िहाद।
भूला सारी आयतें, कठमुल्ला बस याद।३।

शीलवान हिन्दू बना, झेला हर आघात।
काश्मीर से कैराना, हुए घात पर घात।४।

हिन्दू के इस मौन को, कायरता नहि मान।
रौद्र रूप जो धर लिया, होगा प्रलय समान।५।

हिन्द ये मेरा देश है, बूझो इसका अर्थ।
हिन्दी हिन्दू मूल है, बाकी बातें व्यर्थ।६।

                        ✍ डॉ पवन मिश्र

No comments:

Post a Comment