तेरा आना, मुस्कुराना।
याद है हर इक फ़साना।।
सामने आकर दुज़ानू।
दिल की सब बातें बताना।।
याद मुझको गेसुओं में।
उँगलियां तेरा फिराना।।
आज तक फिर भी न समझा।
आके तेरा लौट जाना।।
सोचना फ़ुर्सत मिले तो।
क्या मिला चुनकर ज़माना।।
फूल से बेज़ार होकर।
क्यों चुना काँटे सजाना।।
बस पवन की आरज़ू ये।
लौट आये वो ज़माना।।
✍ डॉ पवन मिश्र
दुज़ानू= घुटने के बल बैठने की मुद्रा
याद है हर इक फ़साना।।
सामने आकर दुज़ानू।
दिल की सब बातें बताना।।
याद मुझको गेसुओं में।
उँगलियां तेरा फिराना।।
आज तक फिर भी न समझा।
आके तेरा लौट जाना।।
सोचना फ़ुर्सत मिले तो।
क्या मिला चुनकर ज़माना।।
फूल से बेज़ार होकर।
क्यों चुना काँटे सजाना।।
बस पवन की आरज़ू ये।
लौट आये वो ज़माना।।
✍ डॉ पवन मिश्र
दुज़ानू= घुटने के बल बैठने की मुद्रा
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