गजमुख लम्बोदर सुनो, आह्वाहन है आज।
विघ्न हरो हे गणपति, पूर्ण करो हर काज।१।
देवों के हो देव तुम, महादेव चंद्रेश।
उमापति हे शिव शम्भू , हर लो मन के क्लेश।२।
उमापति हे शिव शम्भू , हर लो मन के क्लेश।२।
जानकीवल्लभ राघव, दशरथ सुत श्रीराम।
हाथ जोरि विनती यही, पुनि आओ इस धाम।३।
हाथ जोरि विनती यही, पुनि आओ इस धाम।३।
अनघ अजर हे पवनसुत, हे अंजनि के लाल।
पिंगकेश कपिश्रेष्ठ हे, दनुजों के तुम काल।४।
पिंगकेश कपिश्रेष्ठ हे, दनुजों के तुम काल।४।
मुरलीधर माधव सुनो, विनती बारम्बार।
इस दुखिया को अब करो, भव सागर से पार।५।
इस दुखिया को अब करो, भव सागर से पार।५।
✍डॉ पवन मिश्र
🏻
No comments:
Post a Comment