Saturday, 30 January 2021

मुक्तक- जवानी

(शक्ति छंद आधारित मुक्तक)


अगर इंकलाबी कहानी नहीं,

लहू में तुम्हारे रवानी नहीं।

डराती अगर हो पराजय तुम्हें,

सुनो मित्र वो फिर जवानी नहीं।।


चलो यार माना बहुत खार हैं,

चमन जल रहा कोटि अंगार हैं।

मगर ये जवानी मिली किसलिए,

यही तो जवानी के श्रृंगार हैं।।


✍️ डॉ पवन मिश्र


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