मेरे अन्तर्मन से
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Thursday, 28 April 2016
प्रमाणिका छन्द- जगो सपूत भूमि के
जगो सपूत भूमि के,
उठो कि शस्त्र चूमि के।
पुकारती तुझे धरा,
कि घाव है अभी हरा।
प्रहार वक्ष पे सहो,
अजेय भाव में बहो।
करो विनाश पाप का,
कि राष्ट्र धर्म आपका।
✍डॉ पवन मिश्र
2 comments:
Unknown
9 May 2016 at 03:44
वाह।। अतिउत्तम ।।।।
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Unknown
9 May 2016 at 03:44
वाह।। अतिउत्तम ।।।।
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वाह।। अतिउत्तम ।।।।
ReplyDeleteवाह।। अतिउत्तम ।।।।
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