नवजीवन की आशा हूँ।
दीप शिखा सा जलता हूँ।।
रक्त स्वेद सम्मिश्रण से।
लक्ष्य सुहाने गढ़ता हूँ।।
अंतस ज्योति जली जबसे।
अपनी धुन में रहता हूँ।।
जीवन के दुर्गम पथ पर।
अनथक चलता रहता हूँ।।
प्रभु पे है विश्वास अटल।
बाधाओं से लड़ता हूँ।।
घोर तिमिर के मस्तक पर।
अरुणोदय की आभा हूँ।।
भावों का सम्प्रेषण मैं।
शंखनाद हूँ कविता हूँ।।
✍ डॉ पवन मिश्र
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