दीपक ऐसा जो तम हर ले।
अंतस को भी जगमग कर दे।।
हर मुखड़े पे दमके लाली।
अबकी ऐसी हो दीवाली।।
रंगबिरंगी फुलझड़ियों सी।
खुशियाँ नाचे जब चरखी सी।।
रौशन हो सब राहें काली।
अबकी ऐसी हो दीवाली।।
रसगुल्लों से मीठे रिश्ते।
प्रेम समर्पण जिनमे बसते।।
शोभित पुष्पों से हर डाली।
अबकी ऐसी हो दीवाली।।
देश मेरा ख को भी छू ले।
उन्नति के पथ पर ही हो ले।।
विश्व गुरु की छटा निराली।
अबकी ऐसी हो दीवाली।।
-डॉ पवन मिश्र
ख= आकाश
No comments:
Post a Comment