हर बार हमी कहते तुमसे।
कुछ तो तुम भी दिन रात कहो।।
प्रिय मान सको कहना यदि तो।
निज अश्रु त्यजो अभिमान करो।।
यह जीवन प्रेम समर्पण है।
बस प्रीत क रीत निभाय चलो।।
इस जीवन का सपना तुम ही।
कवि मैं हमरी कविता तुम हो।।
-डॉ पवन मिश्र
दुर्मिल सवैया-112 मात्राओं की आठ आवृत्ति
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