भैय्या बक बक कम करो, मानो हमरी बात।
सोच समझ कर बोलिये, पड़ि जायेगी लात।।
पड़ि जायेगी लात, जीभ पर संयम धर लो।
बिन विचार नहि बोल, आज यह निश्चय कर लो।।
कहे पवन ये बात, करोगे दैय्या दैय्या।
लाख टके की बात, सोच के बोलो भैय्या।१।
कूपहिं के सब मेंढकी, करें बकैती लाख।
लप लप मारे अगन की , तीरे खाली राख।।
तीरे खाली राख, शेर बस बातों के ही।
दो कौड़ी औकात, असल में पिद्दी से ही।।
सुनो पवन की बात, दिखे बस चलनी सूपहिं।
उथले उथले लोग, दिखावें खुद को कूपहिं।२।
✍डॉ पवन मिश्र
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