हिन्दी तो अनमोल है, मीठी सुगढ़ सुजान।
देवतुल्य पूजन करो, मातु पिता सम मान।। (1)
दुर्दिन जो हैं दिख रहे, उनके कारण कौन।
सबकी मति है हर गई, सब ठाढ़े हैं मौन।। (2)
ठूंठ बनी हिन्दी खड़ी, धरा लई है खींच।
गूंगे बनकर बोलते, देंखें आँखिन मींच।। (3)
सरकारी अनुदान में, हिन्दी को बइठाय।
अँग्रेजी प्लानिंग करें, ग्रोथ कहाँ से आय।। (4)
जब सोंचे हिन्दी सभी, हिन्दी में हो काम।
हिन्दी में ही बात हो, भली करेंगे राम।। (5)
- डॉ पवन मिश्र
Jai ho!
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