जीवन खुशियों का दर्पण हो,
सबको खुशियाँ ही अर्पण हो।
सब प्रीत करें अंतर्मन से,
रिश्तों में मौन समर्पण हो।।
जीवन खुशियों का दर्पण हो,
सबको खुशियाँ ही अर्पण हो।
अधरों पर झूठ कभी ना हो,
पलकों पर नीर कभी ना हो।
जीवंत जियें हर नर नारी,
नैराश्य भाव का तर्पण हो।।
जीवन खुशियों का दर्पण हो,
सबको खुशियाँ ही अर्पण हो।
कोमल फूलों को सम्बल हो,
भँवरों का गुंजन प्रतिपल हो।
काँटों का उद्भव रुक जाये,
बस पुष्पों का आकर्षण हो।।
जीवन खुशियों का दर्पण हो,
सबको खुशियाँ ही अर्पण हो।
-डॉ पवन मिश्र
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