दूर से ही सब निशाने हो गए।
इश्क के कितने बहाने हो गए।।
हर सितम हमको तेरा मंजूर है।
आशिकी में हम दीवाने हो गए।।
दूसरों के घर बुझाते जब जले।
धीरे धीरे हम सयाने हो गए।।
माँ का आँचल याद आता है बहुत।
चैन से सोये जमाने हो गए।।
साजिशें सारी समझता है "पवन"।
ये तरीके तो पुराने हो गए।।
- डॉ पवन मिश्र
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