छेड़ कर दिल को हमारे वो गए।
बात करने के बहाने हो गए।।
इक फ़क़त दीदार उनका क्या मिला।
होश से हम हाथ अपने धो गए।।
नक्शे पा पे चल पड़े हैं आपके।
आप मेरे रहनुमा जो हो गए।।
ढूंढ पाना खुद को अब मुमकिन नहीं।
आपके इदराक में हम खो गए।।
सांस वो होगी हमारी आखिरी।
गर जुदा अब आप हमसे हो गए।।
-डॉ पवन मिश्र
नक्शे पा= पैरों/कदमों के निशान
इदराक= सोच
अब दुबारा ग़ज़ल याद आने लगी । कॉलेज के बाद अब दुबारा ग़ज़ल पढ़ने का समय मिला । ग़ज़ल अच्छी है ।
ReplyDeleteबहुत मौके आएंगे अब
DeleteKya baat hai
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