Monday, 21 December 2015

मुरलीधर अधरन पे


मुरली धर अधरन पर, लो मुरलीधर आये।
नाग नथैया बृज के, कान्हा मन हरसाये।१।

श्याम रंग अति शोभित, छवि मनमोहक साजे।
पुष्प गिरे अम्बर से, ढम ढम ढ़ोलक बाजे।२।

नयन रेख काजल की, मन्द हँसी मन मोहे।
ग्वाल बाल सब संगे, तन पीताम्बर सोहे।३।

बलदाऊ के भ्राता, गोवर्धन के धारी।
हाथ जोरि नत माथा, पूजें सब नर नारी।४।

                          -डॉ पवन मिश्र



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