Friday, 22 January 2016

ताटंक छन्द- अब जाग जवानी देर न कर

अब जाग जवानी देर न कर, आग लगा दे पानी में।
पापी सारे जल मर जायें, अपनी भरी जवानी में।।

देश घिरा है संकट में अब, अरिदल घात लगाये हैं।
देख जरा इन दुष्टों को जो, घर तक में घुस आये हैं।।

मानवता को लील रही अब, अन्यायी काली छाया।
अत्याचारी पनप रहे पर, तुझको होश नहीं आया।।

मोह-पाश अब काट फेंक दे, कर्तव्यों की आरी से।
हाथ बढ़ाये शत्रु अगर तो, कर दे वार दुधारी से।।

तिलक लगा ले माथे पर अब, खड्ग उठा ले हाथो में।
समय आ गया है उठकर अब,ज्वार बसा ले सांसो में।।

मत भूल जवानी क्या है तू, पीठ किये क्यों विघ्नों से।
सम्पूर्ण विश्व है दुविधा में, राह दिखा पदचिन्हों से।।

                                        -डॉ पवन मिश्र

No comments:

Post a Comment