इकरार है इजहार है।
तो फिर कहाँ तकरार है।।
आँखे झुकी हैं शर्म से।
होठों को पर इनकार है।।
मीज़ान पर धर दी कलम।
कहता कि वो फ़नकार है।।
बोझिल शबों के साये में।
अब जिंदगी दुश्वार है।।
फरमान लेके तुगलकी।
जिद पे अड़ी सरकार है।।
करते नहीं वो साजिशें।
जिनको वतन से प्यार है।।
-डॉ पवन मिश्र
मीज़ान= तराजू
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