तेरे आने से दिल बहलता है।
तिश्नगी को सुकून मिलता है।।
देख कर हुस्न वो सरे महफिल।
देखें कैसे कोई सँभलता है।।
मेरा ग़म भी तेरा दीवाना है।
तेरे पहलू में आ पिघलता है।।
कोई रौशन करे शमा को भी।
तन्हा परवाना कबसे जलता है।।
जा ब जा तू मिले हमे हरपल।
आँखों में ख़्वाब ये ही पलता है।।
-डॉ पवन मिश्र
तिश्नगी= प्यास
जा ब जा= जगह जगह, जहाँ-तहाँ
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