चाँद भी क्या किसी से डरता है।
दूर क्यों आसमाँ में रहता है।।
बेबदल है बहुत अदा उसकी।
आँखों से दिल में वो उतरता है।।
रू ब रू आओ तो कहूँ कुछ मैं।
तेरा पर्दा हमे अखरता है।।
दफ़्न जज्बात हैं मगर फिर भी।
बन के धड़कन वो ही धड़कता है।।
तू नहीं है मगर ये दिल देखो।
वक्त बे वक्त याद करता है।।
-डॉ पवन मिश्र
बेबदल= अद्वितीय
शानदार
ReplyDeleteशानदार
ReplyDelete