Saturday 27 February 2016

ग़ज़ल- हो गयी दुश्मनी जमाने से


हो गई दुश्मनी जमाने से।
लोग जलने लगे दीवाने से।।

मिलने आते थे जो बहाने से।
अब वो आते नहीं बुलाने से।।

आरजू दिल में दफ़्न कर के हम।
लौट आये तेरे मैखाने से।।

उनसे इज़हार अब जरूरी है।
देखें कब तक उन्हें बहाने से।।

रहनुमा फूल भी खिला दें गर।
पायें फ़ुर्सत जो घर जलाने से।।

तेरा मक्नून भाप जाता हूँ।
कुछ न होगा तेरे छिपाने से।।

मेरी तकदीर में नहीं था जो।
मिल गया हौसला दिखाने से।।

कोई रिश्ता नहीं रहा फिर क्यों।
खुश नहीं वो पवन के जाने से।।

                  -डॉ पवन मिश्र

मक्नून= मंशा, मन की बात


Saturday 20 February 2016

मुक्तक


इस हृदय ने वरण कर लिया है तुम्हे।
श्वास विश्वास सब दे दिया है तुम्हे।
प्रीत पे मेरी बस तुम भरोसा रखो,
कृष्ण की राधिका सा जिया है तुम्हे।१।

शांत एकांत वन में ना विचरण करो।
हे प्रिये हे सखे थोड़ा धीरज धरो।
प्रेम की रौशनी से छंटेगा धुँआ,
स्नेह का नेह जीवन में अब तुम भरो।२।

पुष्प आशाओं के कुछ महक जाने दो।
आज थोड़ा हमें तुम बहक जाने दो।
मैं हूँ चातक बनो स्वाति की बूंद तुम,
सूखे अधरों पे अमृत छलक जाने दो।३।

                        - डॉ पवन मिश्र






Monday 15 February 2016

ताटंक छन्द- सुना अभी उस गुरुकुल से


सुना अभी उस गुरुकुल से स्वर, देश विरोधी आये हैं।
अफज़ल अफज़ल चिल्लाते जो, वो श्वानों के जाये हैं।।

मार्क्सवाद का ढोंग रचा के, खुद को कहे सयाना है।
देश कलंकित करने का तो, इसका कृत्य पुराना है।।

नवयुवकों में देश द्रोह का, बीज यही तो बोते हैं।
आतंकी जब मारे जाते, ये चिल्लाते रोते हैं।।

नाम कला का लेकर के ये, नग्न नाच दिखलाते हैं।
आने वाली पीढ़ी को बस, भौतिकता सिखलाते हैं।।

कह दो उनसे जाकर कोई, दाल न अब गल पायेगी।
विद्या के मन्दिर पे केवल, ज्ञान घटा ही छायेगी।।

चुन चुन के सारे गीदड़ अब, दूर भगाये जायेंगे।
बहुत हो गया लाल लाल अब, रँग भगवा लहरायेंगे।।

                                          -डॉ पवन मिश्र






Friday 5 February 2016

मुक्त छन्द- केमेस्ट्री


बउवा बईठो पास हमाये, केमेस्ट्री तुम्हे पढ़ाइत है।
सब चीजन का मूल इहे है, सबका इहे बनाइत है।१।

स्टेबिल्टी झगरा की जड़, इलेक्ट्रान का खेला है।
जिनके तीरे इक दुई गड़बड़, उनही का रेलमपेला है।२।

धातु अधातु का झंडा लइके, सबरे तत्व जो ठाढ़े हैं।
एस पी डी एफ़ पढ़ि लेओ बस, ई सब ओहि के मारे हैं।३।

हैलोजन तो बड़ी अम्मा है, कार्बन का फइलार बहुत।
हाईड्रोजन पिले सभी से, अक्सीजन के यार बहुत।४।

सोडियम भईया बहुते तेज, उई पनियों में बर जात है।
प्लेटिनम ससुरा इत्ता लुल्ल, जाने मेटल काहे कहात है।५।

नीला लिटमस लाल बना दे, तब उनका एसिड मानो।
जऊन लाल को नीला कर दे, उहे बेस हैं इतना जानो।६।

एकहि कार्बन के चक्कर मा, देखो कईसी आफत है।
इथेनॉल तो खूब झुमाए, मिथेनॉल लई डारत है।७।

मार चुपाई बईठे हैं सब, उई जो आखिर मा रहिते।
न कउनो से रिश्तेदारी , उनका सब नोबल कहिते।८।

                                      -डॉ पवन मिश्र