Sunday 28 February 2021

ग़ज़ल-कब मैंने ये कहा कि मिरा हू-ब-हू करें

 221 2121 1221 212


कब मैंने ये कहा कि मिरा हू-ब-हू करें

लेकिन जो दिल में बात है वो रू-ब-रू करें


आओ कि एक दूसरे से गुफ़्तगू करें

दोनों के दिल ही चाक हैं मिलकर रफ़ू करें


चारो तरफ चमन में चलो रंग-ओ-बू करें

जिस मोड़ पर रुके थे वहीं से शुरू करें


पत्थर का ही अगर है हमारा खुदा भी तो

हम क्यूं पढ़ें नमाज़ बता क्यूं वज़ू करें


कुछ आप भी तो मेरी खबर लीजिये पवन

कब तक तलाश हम ही फ़क़त कू-ब-कू करें


                         ✍️ डॉ पवन मिश्र