Thursday 14 May 2020

ताटंक छंद


कुंठा है या दोष उम्र का, या मदिरा की माया है।
राष्ट्रवाद की परिभाषा जो, अब तक समझ न पाया है।
सौ करोड़ इंसानों को पशु, आखिर क्यों बतलाया है।
दृष्टिदोष है या शैतानी, सिर पर कोई साया है।।

                                       ✍ डॉ पवन मिश्र