Sunday 17 November 2019

ग़ज़ल- उनकी जानिब से भी कोई तो इशारा देखूँ

२१२२      ११२२     ११२२     २२

उनकी जानिब से भी कोई तो इशारा देखूँ।।
इस मुहब्बत के लिये उनका इरादा देखूँ।।

अपने ख्वाबों का ही हर बार जनाजा देखूँ।
ऐ खुदा इससे बुरा तू ही बता क्या देखूँ।।

तू गया छोड़ के जिस मोड़ पे तन्हा करके।
मैं उसी मोड़ पे अब भी तेरा रस्ता देखूँ।।

ये मुहब्बत है ? इबादत है ? कि मदहोशी है ?
वो नहीं फिर भी उसी यार का चहरा देखूँ।।

बन्द आंखों ने मेरी जबसे तुझे देखा है।
तब से हरसूं तेरे जलवों का नज़ारा देखूँ।।

ऐसे मंजर से मुझे दूर ही रखना मौला।
बाप के कांधे पे बेटे का जनाजा देखूँ।।

नाख़ुदा बन के हूँ तैयार सफीना लेकर।
चल समंदर तेरी मौजों का इरादा देखूँ।।

                              ✍️ डॉ पवन मिश्र
नाख़ुदा= नाविक
सफ़ीना= नाव
मौज= लहर

Saturday 9 November 2019

रामजन्मभूमि निर्णय

9/11/19 को आये रामजन्मभूमि मामले पर निर्णय के सम्बंध में

द्वारे बंदनवार सजाओ,
कोटि- कोटि पुनि दीप जलाओ।
अवधपुरी के भाग्य जगे हैं,
वर्षों के तप आज फले हैं।
प्रस्तर प्रस्तर बोला है जब,
न्यायमूर्ति ने न्यायोचित तब।
लिक्खा यह पृष्ठ कहानी का,
रामलला की अगवानी का।।
रामलला की अगवानी का।।

           ✍️ डॉ पवन मिश्र