Thursday 23 August 2018

गीत- हे अटल तुम्हे नमन


(पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न आदरणीय अटल बिहारी वाजपेयी जी को समर्पित गीत)

हे विमल तुम्हे नमन, हे सरल तुम्हे नमन।
युग प्रणेता कर्मयोगि, हे अटल तुम्हे नमन।।

दल कमल के प्राण तुम,
प्रदीप्त नव विहान तुम।
पोखरण के शौर्य हो,
भारती की शान तुम।
कुचक्र के प्रभाव में,
विश्व के दबाव में।
डिगे नहीं झुके नहीं, हे अचल तुम्हे नमन।
युग प्रणेता कर्मयोगि, हे अटल तुम्हे नमन।।

विघ्न थे विकट मगर,
तुम सदा रहे निडर।
कारगिल पहाड़ियों से,
गूंजता है स्वर प्रखर।
भले ही लक्ष्य दूर था,
शत्रु मद में चूर था।
मगर कदम रुके नहीं, हे प्रबल तुम्हे नमन।
युग प्रणेता कर्मयोगि, हे अटल तुम्हे नमन।।

                                डॉ पवन मिश्र

Saturday 11 August 2018

ग़ज़ल- उनकी खुशबू को लिये महकी हवा कब आएगी



उनकी खुशबू को लिये महकी हवा कब आएगी।
टूट कर बरसे जो वो काली घटा कब आएगी।।

दर्द हद से बढ़ रहा इसकी दवा कब आएगी।
ज़िंदगी है पूछती आख़िर क़ज़ा कब आएगी।।

आहटों में ढूंढता आवाजे-पा उनकी ही मैं।
ऐ खुदा दर पे मेरे उनकी सदा कब आएगी।।

सुब्ह से हूँ मयकदे में जाम सारे बे-नशा।
शाम ढलने को है साकी तू बता कब आएगी।।

शर्त हर मंजूर है दीदार को उनके मगर।
देखिये अब इश्क़ में उनकी रज़ा कब आएगी।।

ज़िंदगी की जंग जारी आखिरी सांसों के सँग।
अब भी गर आई न तू तो फिर भला कब आएगी।।

लाश में भी ढूंढ लेते वो सियासत की वजह।
रहनुमा को ऐ ख़ुदा शर्मो हया कब आएगी।।

                              ✍ डॉ पवन मिश्र
आवाजे- पा= पैर की आवाज