Thursday 3 February 2022

ग़ज़ल- ख़ुदा जाने

 

२१२२ १२१२ २२
क्यूं हुआ हादसा, ख़ुदा जाने
चाहता क्या ख़ुदा, ख़ुदा जाने

एक चेहरे पे रुक गईं नजरें
इश्क़ है या ख़ता, ख़ुदा जाने

चल दिये राह-ए-इश्क़ पर लेकिन
देखें होता है क्या, ख़ुदा जाने

कश्तियाँ बह रहीं अकेले ही
है कहाँ नाख़ुदा, ख़ुदा जाने

हिज़्र के ज़ख़्म कब तलक पालूं
कब मिलेगी शिफ़ा, ख़ुदा जाने

               ✍️ डॉ पवन मिश्र