Saturday 28 January 2017

नवगीत- तेरी माँ का साकी नाका

जेहादी का ढोंग रचाते
सुन ले ऐ नापाकी आका
बहुत हुआ अब स्वांग तुम्हारा
तेरी माँ का साकी नाका

हमने छोटा भाई माना
धर्म पड़ोसी का पहचाना
दाना-पानी भी देते हैं
गम में तेरे रो लेते हैं
लेकिन तू तो निकला घाती
छलनी करता माँ की छाती
मदलोभी बन सोचे है बस
केशर क्यारी नोचे है बस
हम धरती को माता माने
तुम आते हो लहू बहाने
जिसकी हम पूजा करते हैं
उस माँ पर डाला है डाका
तेरी माँ का साकी नाका

अमरीका का दम्भ न पालो
पहले अपना संकट टालो
चीनी कब तक साथ रहेगी ?
पानी के वह साथ बहेगी
बार बार यू एन को जाते
पीट पीट छाती रो आते
फिर भी दुनिया थू-थू करती
जनता तेरी तिल तिल मरती
मुफ्त मिले गोली औ बम से
रण में अड़ जाते हो हम से
भाड़े के इन हथियारों से
कर पाओगे बाल न बांका
तेरी माँ का साकी नाका

अपना भेष नहीं दिखता है ?
बंग्ला देश नहीं दिखता है ?
हाथ कटा है अब तो जागो
पूँछ दबा घाटी से भागो
काश्मीर का स्वप्न हो पाले
बदबूदार गली के नाले
दिवास्वप्न में क्यों खोये हो ?
बारूदों पर तुम सोये हो
कुछ भी शेष नहीं पाओगे
टुकड़े गिनते रह जाओगे
अबकी अलग करेंगे गिलगित
तब जैसे काटा था ढाका
तेरी माँ का साकी नाका

         ✍डॉ पवन मिश्र

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