Sunday 17 March 2019

दोहे- मैं भी चौकीदार


आई निर्णय की घड़ी, होने लगे विचार।
बोल रहे समवेत सब, *मैं भी चौकीदार*।१।

चोरों के कुल में सुनो, मचता हाहाकार।
हर घर जब कहने लगा, *मैं भी चौकीदार*।२।

बूढ़ा हो या हो युवा, कहता है ललकार।
चोरों की ना ख़ैर अब, *मैं भी चौकीदार*।३।

लोकतंत्र के पर्व में,  देश प्रेम का ज्वार।
गली गली में शोर है, *मैं भी चौकीदार* ।४।

गलबहियां करने लगे, शूकर श्वान सियार।
हर मनु जब कहने लगा, *मैं भी चौकीदार* ।५।

खुशियों की सौगात है, होली का त्यौहार।
फागुन का झोंका कहे, *मैं भी चौकीदार*।६।

                              ✍️ *डॉ पवन मिश्र*
#MainBhiChowkidar

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